अविनाश मिश्र इस समय का रचनात्मक, ख़तरनाक और 'आत्मघाती' स्फुटन है।
तमाम आपत्तियों और बदनामियों के बावजूद उसे पसंद किया जाता है। वह रेयर है।
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उदय शंकर
आलोचक
औरत के अपमान की कहानियाँ जलाने को
मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यास ‘फ़रिश्ते निकले’ की संरचना एक लाक्षागृह सरीखी है।
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सिंगल इनवर्टेड कॉमा और ब्रैकेट वाली एक रिपोर्टिंग
नामालूम कौन-सी टूटी हुई-सी सोच है सो जारी हो गई है...
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