केदारविषयक
केदार-काव्य का मुरीद होना आसान है, केदार-काव्य का रियाज़ आसान नहीं है।
औरत के अपमान की कहानियाँ जलाने को
मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यास ‘फ़रिश्ते निकले’ की संरचना एक लाक्षागृह सरीखी है।
एक ख़ुशअदब ख़ुशहाल जीवन
‘‘यहाँ वह लेटा है जिसने इंसान या भगवान किसी को भी नहीं छोड़ा।''
‘ऋतु’ संहार
एक निश्चित आयु का कवि एक अनिश्चित समय के बीच।
— ज़्बिग्निएव हेर्बेर्त
सिंगल इनवर्टेड कॉमा और ब्रैकेट वाली एक रिपोर्टिंग
नामालूम कौन-सी टूटी हुई-सी सोच है सो जारी हो गई है...